30 Days Challenge
Saturday, January 28, 2012
सलवट
कहना नही
कुछ भी अभी
की कैसे सुनु , कैसे समझू
मन की गाँठे बँधी हुई हैं
सांसो में सलवट पड़ी हुई है
जबसे गये वो
साथ के साथ, चली गयी बातें
बातों के साथ, चली गयी रातें
जिनमें सपने देखते थे
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