कोई इक दिन हज़ारो में
बना जाता है बंजारा
भटकते चौक चौबारे
मंदिर, चर्च गुरद्वारा
कोई इक दिन हज़ारो में
बना जाता है नाकारा
ना कोई "टू डू लिस्ट"
नाही मैं काम का मारा
कोई इक दिन हज़ारो में
बना जाता है शायर भी
की यादें उनकी आती हैं
बनाती दिल को आवारा
आज ना जाने क्या हुआ
ये तीनो मिल गये हैं दिन
बना छोड़ा है मुझको इक
शायर बंजारा , नाकारा
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